Saturday 9 November 2013

हिन्दू धर्म प़र ऊँगली उठाने वालो के लिये एक लेख




मेरी यह पोस्ट उन लोगो के लिये है जो लोग अक्सर हिन्दू धर्म प़र ऊँगली उठाते है और प्रतिदिन बखेड़ा खड़े करे रहते है . तभी कुछ दिनों से मै भी कुछ सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रहा था . जो मेरे ही नही हर हिन्दू के मन में भी उठते है . उन सवालों के जवाब तलाशने के लिये मै कई साधुओ के पास गया और जितनी जानकारी मै एकत्रित कर सका वह प्रस्तुत है उसके कुछ अंश .मै समझता हूँ टीवी प़र धारावाहिकों के माध्यम से हिन्दू धर्म प़र जो दुष्प्रचार किया जा रहा है वह भ्रम लोगो में फैलना कम होगा और लोग जागृत होंगे .
क्यों करते है तुलसी है पूजा =हिन्दू स्तरीय तुलसी की पूजा अपने सोभाग्य एवं वंश वृद्धि के लिये करती है . रामायण कथा में वर्णित एक परसंग के अनुसार राम दूत हनुमान जी जब सीता का पता लगाने गये तो वहा उन्होंने एक घर के आंगन में तुलसी का पोधा देखा जो की विभिष्ण का घर था उन्होंने तुरंत अनुमान लगा लिया की यह किसी धर्म परायण व्यक्ति का घर है अर्थात तुलसी पूजा की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है .
वज्ञानिक अर्थ = तुलसी की पतियों में स्क्राम्क ‘ कितानुओ ‘ को मारने की अद्भुत शक्ति होती है . तुलसी एक दिव्य ओषधि का पोधा है . जुकाम खासी , मलेरिया आदि में लाभदायक है . इतना ही नही केंसर जैसी भयानक बिमारी में भी ठीक करने में लाभदायक है .
क्यों हिन्दू धर्म में मृतक की अस्थियो को गंगा में प्रवाहित करते है = हिन्दुओ की धार्मिक आस्था के अनुसार मृतक की अस्थियो को गंगा में प्रवाहित करने से मृतक की आत्मा को शान्ति मिलती है .
वज्ञानिक अर्थ = वज्ञानिक परीक्षणों से यह निष्कर्ष निकला है की अस्थियो में फास्फोरस अत्याधिक मात्रा में पायी जाती है जो खाद के रूप में भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक है . गंगा नदी के जल से हमारी अन्न उपजाने वाली जमीन की सिचाई होती है . जमीन की उर्वरा शक्ति बढाने में फास्फोरस सहायक है जो की गंगा के जल में अस्थिया प्रवाहित करने के कारण बहुत अधिक मात्रा में निहित है
आज के लिये इतना ही वक्त की कमी के कारण बाकी का लेख कल लिखा जाएगा . लेकिन इन दो बातो से भी यह प्रमाणित होता है की जिन बातो को आज रुढ़िवादी बताया जा रहा है और प्रहार किये जा रहे है वे बिलकुल निराधर है और ऋषि मुनियों ने जो परम्पराए बनाई है उनका वज्ञानिक अर्थ भी है


भूलिये नहीं ! हिन्दू धर्म के बिना भारत का कोई भविष्य नहीं है। हिन्दू धर्म वह भूमि है जिसमे भारत की जड़े गहरी जमी हुई हैं और यदि इस भूमि से इसे उखाड़ा गया तो भारत वैसे ही सूख जायेगा जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाड़ने पर सूख जाता है। भारत में अनेक मत,संप्रदाय और वंशों के लोग पनप रहे हैं,किन्तु उनमे से कोई भी न तो भारत के अतीत के उषा काल में था, न उनमे कोई राष्ट्र के रूप में उसके स्थायित्व के लिए अनिवार्यत: आवयशक है। 
यदि आप हिन्दू धर्म छोड़ते है तो आप अपनी भारत माता के ह्रदय में छुरा घोंपते हैं।यदि भारत माता के जीवन-रक्त स्वरुप हिन्दू धर्म निकल जाता है तो माता गत-प्राण हो जाएगी। आर्य जाती की यह माता ,यह पद्भ्रष्ट जगत -सम्राज्ञी पहले ही आहत क्षत-विक्षत ,विजित और अवनत हुई है। किन्तु हिन्दू धर्म उसे जीवित रखे हुए है,अन्यथा उसकी गर्णा म्रतों में हुई होती। 

यदि आप अपने भविष्य को मूल्यवान समझते हैं, अपनी मात्रभूमि से प्रेम करते हैं,तो अपने प्राचीन धर्म की अपनी पकड़ को छोडिये नहीं,उस निष्ठां से अलग मत होइए जिस पर भारत के प्राण निर्भर हैं। हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य किसी मत की रक्त -वाहिनिया ऐसी स्वर्ण सी ,ऐसी अमूल्य नहीं हैं,जिनमे आध्यात्मिक जीवन का रक्त प्रवाहित किया जा सके। 

परन्तु एक धोखा है --

-- एक वास्तविक और भारी धोखा --- कि भारत से कभी हिन्दू धर्म का लोप न हो जाए ,
नए -पुराने के झगडे में कहीं हिन्दू धर्म ही नष्ट न हो जाए। यदि हिन्दू ही हिन्दू धर्म को न बचा सके तो और कोन बचाएगा ? यदि भारत की संतान अपने धर्म पर अडिग नहीं रही तो कोन उस धर्म कीरक्षा करेगा ?भारत और हिन्दू धर्म एक रूप हैं। मै यह कार्य भार aapko de रही हूँ,कि हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान रहो,वही आपका सच्चा जीवन है। कोई भ्रष्ट मत या विकृत धर्म अपने कलंकित हाथों से आपको सोंपी गयी इस पवित्र धरोहर को स्पर्श न कर सके। 

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